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मेरी लेखनी, मेरी कविता
मन विचलित हो जाता है( कविता)
जब जब देखूंँ
दशा देश की,
मन विचलित हो जाता है।
सभी व्यथित हैं
सभी विकल हैं।
इन लोगों के बानों से,
जो कुछ करते नहीं स्वयं हैं
आलस के वह परम मित्र हैं।।
इन लोगों की हालत पर तो
सबको गुस्सा आता है।
मन विचलित हो जाता है।।
अपना कार्य सही ना करते
औरों को सिखलाते
ब
मन विचलित हो जाता है( कविता)
जब जब देखूंँ
दशा देश की,
मन विचलित हो जाता है।
सभी व्यथित हैं
सभी विकल हैं।
इन लोगों के बानों से,
जो कुछ करते नहीं स्वयं हैं
आलस के वह परम मित्र हैं।।
इन लोगों की हालत पर तो
सबको गुस्सा आता है।
मन विचलित हो जाता है।।
अपना कार्य सही ना करते
औरों को सिखलाते
ब
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