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मेरी लेखनी, मेरी कविता
"मांँ तू बड़ी कूल हो गई है" (कविता)
"मांँ में बदलाव"
चांँद सी सूरत तेरी
बहुमूल्य हो गई है।
समय के साथ
तू बड़ी कूल हो गई है।।
रखती है सबका खयाल
देती है सबको दुलार,
मेरे घर की हर बात
तेरे अनुकूल हो गई है।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
शुरुआत में चमन की
कठिनाइयों को झेला,
हर वक्त को मुकम्मल
मंजिल पर धकेला।।
जिंदगी की सारी खुशी
तेरे माकूल हो गई है।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
नैनो की तेरी ज्योति
सितारों से चमकती थी कभी ,
आज के दौर में
प्रतिकूल हो गई है।।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
हरिशंकर सिंह सारांश
"मांँ तू बड़ी कूल हो गई है" (कविता)
"मांँ में बदलाव"
चांँद सी सूरत तेरी
बहुमूल्य हो गई है।
समय के साथ
तू बड़ी कूल हो गई है।।
रखती है सबका खयाल
देती है सबको दुलार,
मेरे घर की हर बात
तेरे अनुकूल हो गई है।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
शुरुआत में चमन की
कठिनाइयों को झेला,
हर वक्त को मुकम्मल
मंजिल पर धकेला।।
जिंदगी की सारी खुशी
तेरे माकूल हो गई है।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
नैनो की तेरी ज्योति
सितारों से चमकती थी कभी ,
आज के दौर में
प्रतिकूल हो गई है।।
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
हरिशंकर सिंह सारांश
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