"मांँ तू बड़ी कूल हो गई है" ( कविता )'s image
Poetry1 min read

"मांँ तू बड़ी कूल हो गई है" ( कविता )

हरिशंकर सिंह 'सारांश 'हरिशंकर सिंह 'सारांश ' March 6, 2022
Share0 Bookmarks 2260 Reads2 Likes
मेरी लेखनी, मेरी कविता
"मांँ तू बड़ी कूल हो गई है" (कविता)
"मांँ में बदलाव" 

चांँद सी सूरत तेरी
 बहुमूल्य हो गई है।
 समय के साथ
 तू बड़ी कूल हो गई है।। 

रखती है सबका खयाल
 देती है सबको दुलार,
 मेरे घर की हर बात
 तेरे अनुकूल हो गई है।
 मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।

 शुरुआत में चमन की
कठिनाइयों को झेला, 
हर वक्त को मुकम्मल
मंजिल पर धकेला।।

 जिंदगी की सारी खुशी
तेरे माकूल हो गई है। 
मांँ तू बड़ी कूल हो गई है।
 
नैनो की तेरी ज्योति
सितारों से चमकती थी कभी ,
आज के दौर में
प्रतिकूल हो गई है।।
 मांँ तू बड़ी कूल हो गई है। 
 
हरिशंकर सिंह सारांश 

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts