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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
" मैं तेरे वास्ते पलाश बन जाऊंँ"
(कविता)
मैं तेरे वास्ते
पलाश बन जाऊंँ।
गफलत का झरना
अनवरत पानी का
बहाव बन जाऊंँ।।
चाहने वालों की मन्नत
सिहरने वालों का
मुकाम बन जाऊंँ।।
तेरे चेहरे पर
आने वाली
मुस्कुराहट के वास्ते
गुलाब बन जाऊंँ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
" मैं तेरे वास्ते पलाश बन जाऊंँ"
(कविता)
मैं तेरे वास्ते
पलाश बन जाऊंँ।
गफलत का झरना
अनवरत पानी का
बहाव बन जाऊंँ।।
चाहने वालों की मन्नत
सिहरने वालों का
मुकाम बन जाऊंँ।।
तेरे चेहरे पर
आने वाली
मुस्कुराहट के वास्ते
गुलाब बन जाऊंँ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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