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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"मैं बारिश की बूंँद निराली आसमान से आती हूंँ" (कविता)प्रकृति विशेषांँक
मैं बारिश की बूंँद निराली
आसमान से आती हूंँ।
सागर के आंँचल से निकली
वापस धरती पर आती हूंँ।
निर्जीव पडे जो बीज धरा पर
उन्हें जगाने आती हूंँ।।
मैं वर्षा की बूंँद निराली
आसमान से आती हूंँ।
मैं धरती का गहना हूंँ
मैं सुंदर उसे बनाती हूंँ,
मृत जीवन को पानी देकर
म
"मैं बारिश की बूंँद निराली आसमान से आती हूंँ" (कविता)प्रकृति विशेषांँक
मैं बारिश की बूंँद निराली
आसमान से आती हूंँ।
सागर के आंँचल से निकली
वापस धरती पर आती हूंँ।
निर्जीव पडे जो बीज धरा पर
उन्हें जगाने आती हूंँ।।
मैं वर्षा की बूंँद निराली
आसमान से आती हूंँ।
मैं धरती का गहना हूंँ
मैं सुंदर उसे बनाती हूंँ,
मृत जीवन को पानी देकर
म
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