मैं औरत हूंँ (कविता)'s image
0 Bookmarks 52 Reads1 Likes
मेरी लेखनी मेरी कविता 
मैं औरत हूंँ (कविता)

दिल में बस जाए
वह मोहब्बत हूंँ
 कभी बहन कभी
ममता की मूरत हूँ।

मेरे आंँचल से
बने चांँद सितारे 
मैं अपने आप में
 रब की एक मूरत हूंँ।

हर दर्द छुपा लिया सीने में
 जुबां पर ना आए
वह हसरत हूंँ।
मेरे होने से ही है
यह कयानात  
जिंदगी की खूबसूरत
हकीकत हूंँ। 

हर रूप रंग में ढलती हूंँ
 मैं हर रिश्ते की ताकत हूंँ।
 तकदीर बदल देती हूंँ मैं 
हांँ मैं औरत हूंँ।

हरिशंकर सिंह सारांश 


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts