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मेरी लेखनी मेरी कविता
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं ?
(कविता) हिंदी दिवस विशेषांक
अंग्रेजी में नंबर
थोड़े कम आते हैं
अंग्रेजी बोलने से
भी घबराते हैं।
पर स्टाइल के लिए
पूरी जान लगाते हैं
क्योंकि हम हिंदी
बोलने से शर्माते हैं।
एक वक्त था
जब हमारे देश में
हिंदी का बोलबाला था
मांँ की आवाज में भी
सुबह का उजाला था ।।
उस मांँ की बातों को
हम हवा में उड़ाते हैं
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं?
देश आगे बढ़ गया
पर हिंदी पीछे रह गई
हिंदी का दामन छोड़ हम
अंग्रेजी भाषा की तरफ जाते हैं ।
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं ?
माना अंग्रेजी सारी
दुनिया को चलाती है
मगर हिंदी भी तो
हमारी पहचान
दुनियाँ में कराती है ।
क्यों न अपनी मातृभाषा को
फिर एक बार
सिर आंँखों पर बिठाएँ
आओ सब मिलकर
हिंदी दिवस मनाएँ ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं ?
(कविता) हिंदी दिवस विशेषांक
अंग्रेजी में नंबर
थोड़े कम आते हैं
अंग्रेजी बोलने से
भी घबराते हैं।
पर स्टाइल के लिए
पूरी जान लगाते हैं
क्योंकि हम हिंदी
बोलने से शर्माते हैं।
एक वक्त था
जब हमारे देश में
हिंदी का बोलबाला था
मांँ की आवाज में भी
सुबह का उजाला था ।।
उस मांँ की बातों को
हम हवा में उड़ाते हैं
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं?
देश आगे बढ़ गया
पर हिंदी पीछे रह गई
हिंदी का दामन छोड़ हम
अंग्रेजी भाषा की तरफ जाते हैं ।
क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं ?
माना अंग्रेजी सारी
दुनिया को चलाती है
मगर हिंदी भी तो
हमारी पहचान
दुनियाँ में कराती है ।
क्यों न अपनी मातृभाषा को
फिर एक बार
सिर आंँखों पर बिठाएँ
आओ सब मिलकर
हिंदी दिवस मनाएँ ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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