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मेरी लेखनी मेरी कविता
खुद से लड़ने की कोशिश न कर
(कविता)
जिंदगी को जी
उससे उलझने की
कोशिश न कर ।
सुंदर सपनों के ताने-बाने बुुन
उनको समझने की
कोशिश न कर।।
चलते वक्त के साथ चल
उसमें से मिटने की
कोशिश न कर ।।
अपने हाथों को फैला
खुलकर सांँस ले
अंँदर ही अंँदर घुटने की
कोशिश न कर ।।
मन में चल रहे
युद्ध को विराम दे
बेकार में खुद से लड़ने की
कोशिश न कर।।
कुछ बातें भगवान पर छोड़
सब कुछ खुद संभालने की
कोशिश न कर।।
जो मिल गया उसी में खुश रह
गलत रास्तों को अपनाने की
कोशिश न कर।।
रास्ते की सुंँदरता निरख
उस रास्ते पर जल्दी पहुंचने की
कोशिश न कर ।।
खुद से लड़ने की कोशिश न कर ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
खुद से लड़ने की कोशिश न कर
(कविता)
जिंदगी को जी
उससे उलझने की
कोशिश न कर ।
सुंदर सपनों के ताने-बाने बुुन
उनको समझने की
कोशिश न कर।।
चलते वक्त के साथ चल
उसमें से मिटने की
कोशिश न कर ।।
अपने हाथों को फैला
खुलकर सांँस ले
अंँदर ही अंँदर घुटने की
कोशिश न कर ।।
मन में चल रहे
युद्ध को विराम दे
बेकार में खुद से लड़ने की
कोशिश न कर।।
कुछ बातें भगवान पर छोड़
सब कुछ खुद संभालने की
कोशिश न कर।।
जो मिल गया उसी में खुश रह
गलत रास्तों को अपनाने की
कोशिश न कर।।
रास्ते की सुंँदरता निरख
उस रास्ते पर जल्दी पहुंचने की
कोशिश न कर ।।
खुद से लड़ने की कोशिश न कर ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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