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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"बीता समय न वापस आता कह गए लोग सयाने" (कविता)
बीता समय न वापस आता
कह गए लोग सयाने,
कभी व्यर्थ ना इसे गवाँना
जाने और अनजाने ।
रावण जैसा शूरवीर भी
भारी गच्चा खाया।
समय के हाथों मजबूरी में
कुछ भी ना कर पाया ।।
समय का ख्याल किया होता तो
भारत भाग्य उदय होता ,
आवागमन स्वर्ग का देखो
भारत भूमि से होता ।।
समय न देखा दुर्योधन ने
भारी पाप कमाया ,
भाई से छल कपट किया
और सारा राज्य छिनाया ।।
समय की देखो चोट लगी तो
औंधे मुंँह पर आया,
छोड़ चला गया
सब कुछ यहांँ पर
कुछ भी काम न आया ।।
महाज्ञानी और नीतिवान
वो विष्णुगुप्त कहलाए,
समय का मूल्य उन्होंने समझा
महाज्ञानी बन पाए।।
होती न समय की कृपा अगर
वह उतना नहीं सफल होता
समय जरा ना व्यर्थ करो
तुम जाने और अनजाने।
बीता समय न वापस आता
कह गए लोग सयाने ,
कभी व्यर्थ ना इसे गवाँना
जाने और अनजाने ।
हरिशंकर सिंह सारांश
"बीता समय न वापस आता कह गए लोग सयाने" (कविता)
बीता समय न वापस आता
कह गए लोग सयाने,
कभी व्यर्थ ना इसे गवाँना
जाने और अनजाने ।
रावण जैसा शूरवीर भी
भारी गच्चा खाया।
समय के हाथों मजबूरी में
कुछ भी ना कर पाया ।।
समय का ख्याल किया होता तो
भारत भाग्य उदय होता ,
आवागमन स्वर्ग का देखो
भारत भूमि से होता ।।
समय न देखा दुर्योधन ने
भारी पाप कमाया ,
भाई से छल कपट किया
और सारा राज्य छिनाया ।।
समय की देखो चोट लगी तो
औंधे मुंँह पर आया,
छोड़ चला गया
सब कुछ यहांँ पर
कुछ भी काम न आया ।।
महाज्ञानी और नीतिवान
वो विष्णुगुप्त कहलाए,
समय का मूल्य उन्होंने समझा
महाज्ञानी बन पाए।।
होती न समय की कृपा अगर
वह उतना नहीं सफल होता
समय जरा ना व्यर्थ करो
तुम जाने और अनजाने।
बीता समय न वापस आता
कह गए लोग सयाने ,
कभी व्यर्थ ना इसे गवाँना
जाने और अनजाने ।
हरिशंकर सिंह सारांश
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