
Share1 Bookmarks 1368 Reads1 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"कवि से बना कहानीकार" हास्य व्यंग रचना (कविता)
शादी के पहले मैं बेरोजगार था ,आज भी बेरोजगार हूँँ ,फर्क सिर्फ इतना है कि पहले कवि था ,आज कहानीकार हूँँ।
कवि से कहानीकार बनने की कहानी बड़ी निराली है ,बात शादी के पहले की यानी थोड़ी पुरानी है।
पहले मैं श्रंगार रस की कविताएं लिखता था, शक्ल सूरत से गीतकार दिखता था ,पर शादी के बाद जब श्रीमती जी हमारे घर आईंं ,मेरे श्रृंगारििक रूप को अधिक सहन नहीं कर पाईं।
एक रात जब ,मैं कवि सम्मेलन से घर आया, मैंने उन्हें एक श्रंगारिक गीत सुनाया ,वे बिगड़ गईंं, आव देखा न ताव मुझसे झगड़ गई ।
बोलीं
पता नहीं किस-किस पर कैसे-कैसे गीत लिखते हो, गाते हो, रोज रात को, देर से आते हो, तुम्हारा यह गीत वीत
हमको बिल्कुल नहीं सुहाता है, तुम्हारा करेक्टर हमको डाउटफुल नजर
आता है।
मैंने कहा प्रियेेे, मेरे गीत है तुम्हारे लिए, वे बोलीं देखो मुझे बेवकूफ मत बनाओ, सही-सही बताओ, जब मैं नहीं थी तो किसके लिए आहें भरा करते थे, गीत लिख लिख कर किस- किस पर मरा करते थे |
मैंने कहा प्रिये पहले मैं तुम्हारी कल्पना में गीत लिखता था, अब तुम्हारे प्यार में गीत लिखता हूँँ, फिर भी तुमको डाउटफुल दिखता हूँँ।
पर मेरी यह बात उनकी समझ में न आई वो मायके चली गईंं, और वहांँ से चिट्ठी भिजवाई,
गीत लिखना छोड़ दोगे तो वापस ससुराल आऊंँगी वरना सारी उम्र मायके में ही बिताऊंँगी।
लिखना ही है तो हास्य लिखो, दूसरों को हँसाओ और खुद भी हंँसमुख दिखो।
क्योंकि विज्ञान भी यही कहता है, कि हँसने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
लाइफ को खतरे में जानकर वाइफ की बात मानकर मैंने हास्य लिखना शुरु कर दिया, पर जल्द ही इसका परिणाम भी भुगत लिया।
एक कवि सम्मेलन में
"कवि से बना कहानीकार" हास्य व्यंग रचना (कविता)
शादी के पहले मैं बेरोजगार था ,आज भी बेरोजगार हूँँ ,फर्क सिर्फ इतना है कि पहले कवि था ,आज कहानीकार हूँँ।
कवि से कहानीकार बनने की कहानी बड़ी निराली है ,बात शादी के पहले की यानी थोड़ी पुरानी है।
पहले मैं श्रंगार रस की कविताएं लिखता था, शक्ल सूरत से गीतकार दिखता था ,पर शादी के बाद जब श्रीमती जी हमारे घर आईंं ,मेरे श्रृंगारििक रूप को अधिक सहन नहीं कर पाईं।
एक रात जब ,मैं कवि सम्मेलन से घर आया, मैंने उन्हें एक श्रंगारिक गीत सुनाया ,वे बिगड़ गईंं, आव देखा न ताव मुझसे झगड़ गई ।
बोलीं
पता नहीं किस-किस पर कैसे-कैसे गीत लिखते हो, गाते हो, रोज रात को, देर से आते हो, तुम्हारा यह गीत वीत
हमको बिल्कुल नहीं सुहाता है, तुम्हारा करेक्टर हमको डाउटफुल नजर
आता है।
मैंने कहा प्रियेेे, मेरे गीत है तुम्हारे लिए, वे बोलीं देखो मुझे बेवकूफ मत बनाओ, सही-सही बताओ, जब मैं नहीं थी तो किसके लिए आहें भरा करते थे, गीत लिख लिख कर किस- किस पर मरा करते थे |
मैंने कहा प्रिये पहले मैं तुम्हारी कल्पना में गीत लिखता था, अब तुम्हारे प्यार में गीत लिखता हूँँ, फिर भी तुमको डाउटफुल दिखता हूँँ।
पर मेरी यह बात उनकी समझ में न आई वो मायके चली गईंं, और वहांँ से चिट्ठी भिजवाई,
गीत लिखना छोड़ दोगे तो वापस ससुराल आऊंँगी वरना सारी उम्र मायके में ही बिताऊंँगी।
लिखना ही है तो हास्य लिखो, दूसरों को हँसाओ और खुद भी हंँसमुख दिखो।
क्योंकि विज्ञान भी यही कहता है, कि हँसने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
लाइफ को खतरे में जानकर वाइफ की बात मानकर मैंने हास्य लिखना शुरु कर दिया, पर जल्द ही इसका परिणाम भी भुगत लिया।
एक कवि सम्मेलन में
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments