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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
कर्मयोगी (कविता)
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है।
देश की धर्म की
बड़ी शान है।
यह जो किसान है।।
अन्नदाता है तू
सबका भ्राता है तू,
भारती की
तू पहचान है।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
पालता है सबको
खिलाता है सबको,
भूखा सोता कभी
दवा रखे सभी
मन में अरमान हैं।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
रातों को जगता है
हर प्रयास करता है,
ताकि जीता रहे
इंसान है ।।
यह जो किसान है ।।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
बड़ा परिश्रमी है
कर्तव्यनिष्ठा है,
मेहनत की पराकाष्ठा है।
धरा पर मनुज का
सम्मान है ।।
सफलता का रूप है
निष्ठा का प्रतिरूप है,
देश का सम्मान है
यह जो किसान है।।
निडर है
दिनमान है ,
सहभागिता का प्रमाण है,
मिलनसार है
भारतीय सभ्यता का
प्रमान है।।
यह जो किसान है ।।।
हरिशंकर सिंह सारांश
कर्मयोगी (कविता)
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है।
देश की धर्म की
बड़ी शान है।
यह जो किसान है।।
अन्नदाता है तू
सबका भ्राता है तू,
भारती की
तू पहचान है।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
पालता है सबको
खिलाता है सबको,
भूखा सोता कभी
दवा रखे सभी
मन में अरमान हैं।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
रातों को जगता है
हर प्रयास करता है,
ताकि जीता रहे
इंसान है ।।
यह जो किसान है ।।
कर्म योगी बड़ा
थोड़ा अनजान है ।।
बड़ा परिश्रमी है
कर्तव्यनिष्ठा है,
मेहनत की पराकाष्ठा है।
धरा पर मनुज का
सम्मान है ।।
सफलता का रूप है
निष्ठा का प्रतिरूप है,
देश का सम्मान है
यह जो किसान है।।
निडर है
दिनमान है ,
सहभागिता का प्रमाण है,
मिलनसार है
भारतीय सभ्यता का
प्रमान है।।
यह जो किसान है ।।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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