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मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"जो नीति वचन चाणक्य दिए"
(कविता) शिक्षक विशेषांक
हे ज्ञानवान !हे अध्यापक !
कुछ ऐसा कर दिखला दे,
सारे बच्चे हों ज्ञान पुंँज
तू ऐसा यश फैला दे।
गिनते नहीं दिवस हरगिज
रोजाना पढ़ने आते,
प्रतिदिन आस जगी है मन में
मन का ज्ञान बढ़ाते।।
इनको इनका ध्यान दीजिए
मंजिल पाने का रस्ता,
बोझ बने ना कोमल मन पर
छोटा सा भारी बस्ता।।
ज्ञान रूप इनको देकर
तू सब को सबल बनादे।
हे ज्ञानवान! हे अध्यापक!
कुछ ऐसा कर दिखला दे।।
यह झूठ नहीं सच्चाई है,
सारी दुनिया ने माना है ,
भारत की ज्ञान प्रतिष्ठा को
सब लोगों ने पहचाना है।।
एक बार फिर
मानव
"जो नीति वचन चाणक्य दिए"
(कविता) शिक्षक विशेषांक
हे ज्ञानवान !हे अध्यापक !
कुछ ऐसा कर दिखला दे,
सारे बच्चे हों ज्ञान पुंँज
तू ऐसा यश फैला दे।
गिनते नहीं दिवस हरगिज
रोजाना पढ़ने आते,
प्रतिदिन आस जगी है मन में
मन का ज्ञान बढ़ाते।।
इनको इनका ध्यान दीजिए
मंजिल पाने का रस्ता,
बोझ बने ना कोमल मन पर
छोटा सा भारी बस्ता।।
ज्ञान रूप इनको देकर
तू सब को सबल बनादे।
हे ज्ञानवान! हे अध्यापक!
कुछ ऐसा कर दिखला दे।।
यह झूठ नहीं सच्चाई है,
सारी दुनिया ने माना है ,
भारत की ज्ञान प्रतिष्ठा को
सब लोगों ने पहचाना है।।
एक बार फिर
मानव
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