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जो भुला ना सके वो याद हूंँ मैं (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश May 30, 2022
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मेरी लेखनी मेरी कविता
जो भुला ना सके वो याद हूंँ मैं
(कविता)
जो भुला ना सके वो याद हूंँ मैैं
गुजारे होंगे तुमने
 कई महीने दिन रात साल,
जो कट ना सके वो रात हूंँ मैैं।।

की होगी गुफ्तगू तुमने
 कई दफा कई लोगों से,
दिल पर जो लगेगी
वह बात हूं मैं।
जो भुला न सके वह याद हूँ मैं।।

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