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मेरी लेखनी मेरी कविता
जीने की चमक गायब है
(कविता) जीवन विशेषांक
अजीब दौर है
जीने की चमक गायब है।
चमक दमक है
मगर उजास गायब है ।।
हमारे अपने हमसे
रूठ कर चले जो गए।
उन्हीं के आंसुओं की
बेरुखी भी गायब है।।
चमक दमक है
मगर उजास से गायब है।।
उन्हीं की याद में
थोड़ा सा जी लेते है।
मिले जो घाव
हमको जीवन के
वक्त गुरुवत में सी लेते हैं।।
सारी दुनियाँ की
नियामत है मगर,
उनसे मिलने की
आस गायब है ।।
चमक दमक है
मगर उजास गायब है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
जीने की चमक गायब है
(कविता) जीवन विशेषांक
अजीब दौर है
जीने की चमक गायब है।
चमक दमक है
मगर उजास गायब है ।।
हमारे अपने हमसे
रूठ कर चले जो गए।
उन्हीं के आंसुओं की
बेरुखी भी गायब है।।
चमक दमक है
मगर उजास से गायब है।।
उन्हीं की याद में
थोड़ा सा जी लेते है।
मिले जो घाव
हमको जीवन के
वक्त गुरुवत में सी लेते हैं।।
सारी दुनियाँ की
नियामत है मगर,
उनसे मिलने की
आस गायब है ।।
चमक दमक है
मगर उजास गायब है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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