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जीने की चमक गायब है (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश October 9, 2023
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मेरी लेखनी मेरी कविता 
जीने की चमक गायब है 
(कविता) जीवन विशेषांक 

अजीब दौर है
जीने की चमक गायब है।
 चमक दमक है
मगर उजास गायब है ।।

हमारे अपने हमसे
 रूठ कर चले जो गए।
उन्हीं के आंसुओं की
बेरुखी भी गायब है।।
 चमक दमक है
मगर उजास से गायब है

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