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धूप बेकार में बदनाम हो गई
जब से तेरे जीवन की शाम हो गई ।
रखेंगे दिल में छुपा कर तुझे
कहानी तेरी आवाम हो गई ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
जब से तेरे जीवन की शाम हो गई ।
रखेंगे दिल में छुपा कर तुझे
कहानी तेरी आवाम हो गई ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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