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मेरी लेखनी ,मेरी कविता "है यह रीत पुरानी" (कविता) एक सीख
जल्दी सोना ,जल्दी जगना
है यह रीत पुरानी
मान लीजिए सबका कहना
करो नहीं नादानी ।।
भोर में उठकर प्यारे बच्चो
शिक्षा ज्ञान बढ़ाओ सूरज से पहले तुम जागो मति नहीं अलसाओ।।
पानी है यदि मंजिल तुमको
शिष्टाचार अपनाओ सुबह सवेरे जल्दी उठकर बड़ों को शीश झुकाओ ।
आशीशों की बारिश होगी अच्छे गुण अपनाओ ।।।
हरि शंकर सिंह सारांश
जल्दी सोना ,जल्दी जगना
है यह रीत पुरानी
मान लीजिए सबका कहना
करो नहीं नादानी ।।
भोर में उठकर प्यारे बच्चो
शिक्षा ज्ञान बढ़ाओ सूरज से पहले तुम जागो मति नहीं अलसाओ।।
पानी है यदि मंजिल तुमको
शिष्टाचार अपनाओ सुबह सवेरे जल्दी उठकर बड़ों को शीश झुकाओ ।
आशीशों की बारिश होगी अच्छे गुण अपनाओ ।।।
हरि शंकर सिंह सारांश
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