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  मेरी लेखनी ,मेरी कविता
 "दुर्गम पथ " (कविता) 
   छात्र विशेषांक  

पथ तेरा दुर्गम सही
 पर असंभव है नहीं।

 ज्ञान का दीपक जला है
 मन में तेरे ही कहीं,
पथ तेरा दुर्गम सही
 पर असंभव है नहीं।।
 
 देखकर कठिनाइयों को
 रास्ता ना छोड़ना,
 सबसे जो वादा किया
 वह कभी ना तोड़ना।

 खोजता जा ज्ञान की वह
अनकही परछाइयांँ
 चाहे कितनी भी पडें
 अब राह में कठिनाइयांँ।
  
आस को सिंबल बना
 जो छिपी अंदर कहीं,
पथ तेरा दुर्गम सही
 पर असंभव है नहीं।।
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