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दिल में छिपी शराफत दिखाई नहीं जाती( कविता)

हरिशंकर सिंह 'सारांश 'हरिशंकर सिंह 'सारांश ' March 7, 2023
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मेरी लेखनी मेरी कविता 
दिल में छुपी शराफत दिखाई नहीं जाती 
(कविता)

दिल में छुपी शराफत दिखाई नहीं जाती 
हर बात पर झूठी कसम खाई नहीं जाती।

क्या हुआ हजारों लोगों से मेरा मिलना मिलाना हो
मगर तुम बिन मेरे दिल की
 तनहाई नहीं जाती ।।
दिल में छिपी  शराफत  दिखाई नहीं जाती ।।

मोहब्बत के घने जंगल पनप जाते हैं शहरों में
मोहब्बत खाद पानी देखे उपजाई नहीं जाती
 चुकानी पड़ती है कीमत कदम कदम पर
मुफ्त में लाश भी कब्र  में दफनाई नहीं जाती।।
दिल में छुपी शराफत दिखाई नहीं जाती।।


 हरिशंकर सिंह सारांश  

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