Share1 Bookmarks 44690 Reads2 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"धरती पर हर नवचार अमिट" (कविता)
एक आह्वान
यह धरा अमिट,
यह ज्ञान अमिट।
जीवटता का
संसार अमिट।
उस निराकार का
रूप अमिट,
धरती पर हर
नवचार अमिट।
यह धरा
अलंकृत हो जाए
जब ज्ञान रूप
अंँकुर फूटे।
"धरती पर हर नवचार अमिट" (कविता)
एक आह्वान
यह धरा अमिट,
यह ज्ञान अमिट।
जीवटता का
संसार अमिट।
उस निराकार का
रूप अमिट,
धरती पर हर
नवचार अमिट।
यह धरा
अलंकृत हो जाए
जब ज्ञान रूप
अंँकुर फूटे।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments