
Share0 Bookmarks 443 Reads1 Likes
मेरी लेखनी मेरी कविता
दर्द में कितनी सुनामी है
(कविता)
यहांँ हर दिल में
एक अधूरी सी कहानी है
हर जिंदगी की
छोटी सी कहानी है ।।
बाहर से चेहरा
हंसता हुआ नजर आता है
झांक कर देखोगे तो
हर आंख में पानी है।
कुछ यादें लिए बैठे हैं,,
कुछ किस्से लिए बैठे हैं
यहां लोग दिल के
कई हिस्से लिए बैठे हैं ।
बैठिए किसी के पास
हमराह बनकर
तभी जान पाओगे कि
दर्द में कितनी सुनामी है ।
कोई पत्थर बन जाता है
किसी को चुप रहना नहीं आता
सभी को दूसरों की आदत जाननी,
अपनी छुपानी है।।
चुप रहकर जिम्मेदारियां निभानी है
यही तो जिंदगानी है
दर्द में कितनी सुनामी है।
हरिशंकर सिंह सारांश
दर्द में कितनी सुनामी है
(कविता)
यहांँ हर दिल में
एक अधूरी सी कहानी है
हर जिंदगी की
छोटी सी कहानी है ।।
बाहर से चेहरा
हंसता हुआ नजर आता है
झांक कर देखोगे तो
हर आंख में पानी है।
कुछ यादें लिए बैठे हैं,,
कुछ किस्से लिए बैठे हैं
यहां लोग दिल के
कई हिस्से लिए बैठे हैं ।
बैठिए किसी के पास
हमराह बनकर
तभी जान पाओगे कि
दर्द में कितनी सुनामी है ।
कोई पत्थर बन जाता है
किसी को चुप रहना नहीं आता
सभी को दूसरों की आदत जाननी,
अपनी छुपानी है।।
चुप रहकर जिम्मेदारियां निभानी है
यही तो जिंदगानी है
दर्द में कितनी सुनामी है।
हरिशंकर सिंह सारांश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments