
Share0 Bookmarks 420 Reads2 Likes
मेरी लेखनी मेरी कविता ,
चेहरे की कशिश (कविता)
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है,
मुझे खुश रहने की
वजह देता है।।
वो मेरा कौन है
मालूम नहीं
जब भी मिलता है
पहलू में जगह देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
मैं जब कभी अंदर से
टूट कर बिखरूूँ ,
वो मुझे थामने के लिए
हाथ बढ़ा देता है।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है ।।
जब कभी चुपके से
रोना मैं चाहूँ ,
वो दिल का दरवाजा
खटखटा देता है।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
उसकी बातों में
जाने क्या जादू है ,
एक ही पल में
सदियाँ भुला देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
चेहरे की कशिश (कविता)
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है,
मुझे खुश रहने की
वजह देता है।।
वो मेरा कौन है
मालूम नहीं
जब भी मिलता है
पहलू में जगह देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
मैं जब कभी अंदर से
टूट कर बिखरूूँ ,
वो मुझे थामने के लिए
हाथ बढ़ा देता है।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है ।।
जब कभी चुपके से
रोना मैं चाहूँ ,
वो दिल का दरवाजा
खटखटा देता है।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
उसकी बातों में
जाने क्या जादू है ,
एक ही पल में
सदियाँ भुला देता है ।
एक चेहरा जो मेरे
ख्वाब सजा देता है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments