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मेरी लेखनी मेरी कविता
चलते-चलते (कविता )
मुश्किलों से पार पाना है
चलते-चलते।
मन के शहर को सजाना है
चलते चलते।
मुश्किलें ,दुश्वारियां भी आएंगी
छोड़ना है दूर सबको
राह चलते चलते।
मुश्किलों से पार पाना है
चलते-चलते।।
हरिशंकर सिंह सारांश
चलते-चलते (कविता )
मुश्किलों से पार पाना है
चलते-चलते।
मन के शहर को सजाना है
चलते चलते।
मुश्किलें ,दुश्वारियां भी आएंगी
छोड़ना है दूर सबको
राह चलते चलते।
मुश्किलों से पार पाना है
चलते-चलते।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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