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मेरी लेखनी मेरी कविता
चल सफर पर चल बटोही (कविता )
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।
जीवन लंबा समय जरूरी
मंजिल पाना बाकी है।।
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।।
है सफर में मुश्किलें
तो क्या हुआ ?
मंजिल अभी गर दूर है
तो क्या हुआ ?
जीवटता से भरा हुआ तू ,
बहुत आस बाकी है ।
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
चल सफर पर चल बटोही (कविता )
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।
जीवन लंबा समय जरूरी
मंजिल पाना बाकी है।।
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।।
है सफर में मुश्किलें
तो क्या हुआ ?
मंजिल अभी गर दूर है
तो क्या हुआ ?
जीवटता से भरा हुआ तू ,
बहुत आस बाकी है ।
चल सफर पर चल बटोही
सफर तेरा बाकी है ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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