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भूल भुलैया नैना तेरे (कविता)

हरिशंकर सिंह 'सारांश 'हरिशंकर सिंह 'सारांश ' March 16, 2023
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मेरी लेखनी , मेरी कविता
भूल भुलैयाँ नैना तेरे
 (कविता)
काले-काले इन नैनों की
 प्रियतम छटा निराली है।

 जिन पर कृपा हुई है इनकी
 उनकी रोज दिवाली है।

 नैनो के दर्पण में देखा
 लोगों ने अपनेपन को
 नैनों में ऐसी शक्ति है
 बदल दिया है जीवन को
 नैनो के सर्कस की यारो
 हर एक कला निराली है।

काले काले इन नैनों  की
 प्रियतम छटा निराली है।

 नैनों की गलियांँ हैं संकरी
 भूल भुलैयाँ जैसी
इन आंँखों की जंजीरों की
 हर एक कड़ी निराली है।

काले काले इन नैनों की
 प्रियतम छटा निराली है ।  


हरिशंकर सिंह सारांश 

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