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मेरी लेखनी मेरी कविता
बड़े बड़ों को फकीर होते देखा है
(कविता)
हंँसी में छुपी
खामोशियों को देखा है।
मयखाने में बुजुर्गों को भी
जवान होते देखा है।।
हमने इंसानों को
जरूर
बड़े बड़ों को फकीर होते देखा है
(कविता)
हंँसी में छुपी
खामोशियों को देखा है।
मयखाने में बुजुर्गों को भी
जवान होते देखा है।।
हमने इंसानों को
जरूर
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