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मेरी लेखनी, मेरी कविता
"कभी बंँदिशों की दुनिया, कभी आदर्शों की छाया"" (कविता) शिक्षक विशेषांक
कभी बंदिशों की दुनिया
कभी आदर्शों की छाया,
ऐसा ही जीवन है
मैंने (तूने) पाया।।
दुनिया को
जीना सिखलाता ,
खुद को
"कभी बंँदिशों की दुनिया, कभी आदर्शों की छाया"" (कविता) शिक्षक विशेषांक
कभी बंदिशों की दुनिया
कभी आदर्शों की छाया,
ऐसा ही जीवन है
मैंने (तूने) पाया।।
दुनिया को
जीना सिखलाता ,
खुद को
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