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मेरी लेखनी मेरी कविता
बैठ मत तू हार कर
(कविता) आशावादी विचार
मंजिलों को पार कर
जिंदगी से प्यार कर
बैैठ मत तू हार कर ।।
है जरूर टूटा अंदर से
निकल निराशा के मंजर से
मेहनत को गुना चार कर
बैठ मत तू हार कर ।।
कदम तुझको ही बढ़ाने
छोड़कर सारे बहाने
रास्तों को पार कर
बैठ मत तू हार कर।।
खुद को संभाल अब
उठा मस्तक भाल अब
अपनेे डरों को दूर कर
बैठ मत तू हार कर ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
बैठ मत तू हार कर
(कविता) आशावादी विचार
मंजिलों को पार कर
जिंदगी से प्यार कर
बैैठ मत तू हार कर ।।
है जरूर टूटा अंदर से
निकल निराशा के मंजर से
मेहनत को गुना चार कर
बैठ मत तू हार कर ।।
कदम तुझको ही बढ़ाने
छोड़कर सारे बहाने
रास्तों को पार कर
बैठ मत तू हार कर।।
खुद को संभाल अब
उठा मस्तक भाल अब
अपनेे डरों को दूर कर
बैठ मत तू हार कर ।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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