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मेरी लेखनी मेरी कविता
बहुत उड़ान बाकी है
(कविता)
परिंदे रुक मत
तुझमें अभी जान बाकी है ।
मंजिल दूर है
बहुत उड़ान बाकी है।
यूंँ ही नहीं मिलती
रब की मेहरबानी ,
एक से बढ़कर एक
इम्तिहान बाकी है।।
जिंदगी की जंग में
है हौसला जरूरी,
जीतने के लिए
सारा जहान बाकी है।
परिंदे रुक मत
बहुत उड़ान बाकी है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
बहुत उड़ान बाकी है
(कविता)
परिंदे रुक मत
तुझमें अभी जान बाकी है ।
मंजिल दूर है
बहुत उड़ान बाकी है।
यूंँ ही नहीं मिलती
रब की मेहरबानी ,
एक से बढ़कर एक
इम्तिहान बाकी है।।
जिंदगी की जंग में
है हौसला जरूरी,
जीतने के लिए
सारा जहान बाकी है।
परिंदे रुक मत
बहुत उड़ान बाकी है।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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