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मेरी लेखनी मेरी कविता
औकात से ज्यादा नहीं करता
( कविता)
जिसे निभा ना सकूँ
ऐसा वादा नहीं करता
औकात से ज्यादा नहीं करता।।
भले ही तमन्ना रखता हूंँ
आकाश छू लेने की
मगर औरों को गिराने का
इरादा नहीं रखता।।
हरिशंकर सिंह सारांश
औकात से ज्यादा नहीं करता
( कविता)
जिसे निभा ना सकूँ
ऐसा वादा नहीं करता
औकात से ज्यादा नहीं करता।।
भले ही तमन्ना रखता हूंँ
आकाश छू लेने की
मगर औरों को गिराने का
इरादा नहीं रखता।।
हरिशंकर सिंह सारांश
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