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मेरी लेखनी मेरी कविता
आरजू की किताब लिए फिरता हूंँ
( कविता)
जाने क्यों शिकस्त का
अज़ाब लिए फिरता हूंँ,
मैं क्या हूंँ
और क्या लिए फिरता हूंँ।
उसने एक बार किया था
सवाल ए मोहब्बत,
मैं हर एक लम्हा ,
वफा का लिए फिरता हूंँ।।
उसने पूछा
कब से नह
आरजू की किताब लिए फिरता हूंँ
( कविता)
जाने क्यों शिकस्त का
अज़ाब लिए फिरता हूंँ,
मैं क्या हूंँ
और क्या लिए फिरता हूंँ।
उसने एक बार किया था
सवाल ए मोहब्बत,
मैं हर एक लम्हा ,
वफा का लिए फिरता हूंँ।।
उसने पूछा
कब से नह
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