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मेरी लेखनी मेरी कविता
अंँधेरी रात की सुबह ढूंँढते हैं
(कविता)
चलो हंँसने की कोई
वजह ढूंँढते हैं
जिधर न हो गम
वह जगह ढूंँढते हैं
अंँधेरी रात की
सुबह ढूंँढते हैं।
बहुत उड़ लिए
नीले काले गगन मेें
जमीन पर कहीं
हम सतह ढूंँढते हैं ।
इ
अंँधेरी रात की सुबह ढूंँढते हैं
(कविता)
चलो हंँसने की कोई
वजह ढूंँढते हैं
जिधर न हो गम
वह जगह ढूंँढते हैं
अंँधेरी रात की
सुबह ढूंँढते हैं।
बहुत उड़ लिए
नीले काले गगन मेें
जमीन पर कहीं
हम सतह ढूंँढते हैं ।
इ
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