"अंँधेरा कहीं रह न जाए चमन में" (कविता)'s image
Poetry1 min read

"अंँधेरा कहीं रह न जाए चमन में" (कविता)

हरिशंकर सिंह सारांशहरिशंकर सिंह सारांश October 13, 2023
Share1 Bookmarks 48868 Reads1 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
"अंँधेरा कहीं रह न जाए चमन में"
( कविता )

उदासी न हो तेरे मन में,
 अंँधेरा न छाए चमन में।

 निगाहें सदाँ ही
तेरी ताकती हों 
अविरल सी आंखों से
 नीले गगन में ,
अंँधेरा कहीं रह न
 जाए चमन में ।।

अविराम जीवन की
 नैया क

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts