
Share0 Bookmarks 666 Reads1 Likes
मेरी लेखनी ,मेरी कविता
आकाँक्षा (एक पुकार)
बेटी हूँँ, मुझको पराई न कहना
मुझको सदा ,आपके दिल में रहना।
बेटी हूँ मुझको,पराई न कहना।।
आई हूँँ दुनिया में, सपने मेैैं लेकर
जाऊंगी तुम को, बढ़ा मान देकर
नारी हूँ मुझको, अबला न कहना।
बेटी हूूँ मुझको ,पराई न कहना।।
चारों दिशाओं में ,नाम मैैं करूँगी
दामन मैैं शिक्षा का ,जब थाम लूँगी।
मुझको सदा, तेरे साए में रहना
बेटी हूं मुझको ,पराई न कहना ।।
मुझको जीवन देने वालों से ,मेरा यह कहना
शिक्षा का अधिकार हमारा, हमको यह दिलवा दो ,आजादी से जीने का, हमको
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments