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मेरी लेखनी मेरी कविता
आग बहुत सी बाकी है
(कविता)
भारत क्यों तेरी सांसों के
स्वर आहत से लगते हैं !
अभी जियाले परवानों में
आग बहुत सी बाकी है।।
क्यो
आग बहुत सी बाकी है
(कविता)
भारत क्यों तेरी सांसों के
स्वर आहत से लगते हैं !
अभी जियाले परवानों में
आग बहुत सी बाकी है।।
क्यो
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