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वो खिड़की, वो मासूम चेहरा,
वो मुस्कान याद आती है
क्यों आज़ भी ऐसा लगता है
जब गुजरता हूं उसकी गली
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वो खिड़की, वो मासूम चेहरा,
वो मुस्कान याद आती है
क्यों आज़ भी ऐसा लगता है
जब गुजरता हूं उसकी गली
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