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जो तुम्हें कड़वे लगे,
उन्हें जुबां मत दो 'हरीश'
किसी दिन लौट आते हैं,
वक्त के पृष्ठ से टकराकर
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जो तुम्हें कड़वे लगे,
उन्हें जुबां मत दो 'हरीश'
किसी दिन लौट आते हैं,
वक्त के पृष्ठ से टकराकर
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