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जब सोचता है तुम्हें, मेरा मन
ख़ुद को तुझमें खो देता है
जैसे समन्दर में गिरने के बाद,
दरिया अपना अस्तित्व खो देता है
-हरीश
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जब सोचता है तुम्हें, मेरा मन
ख़ुद को तुझमें खो देता है
जैसे समन्दर में गिरने के बाद,
दरिया अपना अस्तित्व खो देता है
-हरीश
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