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मैं भी जलता था कभी दिए की तरह,
दुनिया की महफ़िले रौशन किया करता था,
अब बुझ गया हूँ तो खुद ही अंधकार में हूँ
ना किसी के सवाल में हूँ ना किसी के जवाब में हूँ
#हरीश विद्रोही
दुनिया की महफ़िले रौशन किया करता था,
अब बुझ गया हूँ तो खुद ही अंधकार में हूँ
ना किसी के सवाल में हूँ ना किसी के जवाब में हूँ
#हरीश विद्रोही
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