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मैं सत्य सनातन शक्ति हूँ
मैं मनुज ह्रदय की भक्ति हूँ,
जब प्रेम पाठ समझाना हो तो,
मुरली मधुर सुनाता हूँ,
जब युद्ध शंखनाद करना हो तो,
मैं पंचजन्या उठाता हूँ,
जब रण क्षेत्र में आता हूँ तो,
पार्थ सारथी बन जाता हूँ,
कभी कूटनीति जब करनी हो तो,
रण छोड़ मैं कहलाता हूँ,
पथभ्रष्ट पार्थ हो जाये तो,
मैं गीता सार बतलाता हूँ,
शस्त्र त्याग कर दे पार्थ तो,
मैं दिव्य स्वरूप दिखलाता हूँ,
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