सुनो,
तुम चली तो गई हो मुझे छोड़कर,
जाने से पहले मुझपर एक और एहसान करती जाती ना,
अपनी बेहिसाब यादों क़ो मुझसे छीनकर,
उन्हें भी अपने साथ ले जाती ना..!
सुनो,
तुम चली तो गई हो मुझे छोड़कर,
जाने से पहले मुझे इतना तो बताती जाती ना,
यूँ बेवजह मुझे छोड़कर जाने से अच्छा,
मुझे छोड़कर जाने का कोई तो बहाना बताकर जाती ना..!
सुनो,
तुम चली तो गई हो मुझे छोड़कर,
लेकिन जाने से पहले एक बार अपना खूबसूरत चेहरा दिखाकर तो जाती ना,
और जाते जाते मेरी आँखों से निकले आँसू आखिरी बार तो पोंछ जाती ना..!!
सुनो,
तुम चली तो गई हो मुझे छोड़कर,
कभी आओगी क्या मेरे पास लौटकर इतना तो बताती जाती ना,
तेरा इंतज़ार करू या ना करू,
जाने से पहले मुझे इतना तो बताकर जाती ना..!!
#स्वरचित -हरीश विद्रोही
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