Share0 Bookmarks 47964 Reads1 Likes
हाँ मैं लड़ा बहुत हूँ...
कभी खुद से, तो कभी गैरों से,
कभी खुद की ही खुद्दारी से, या जीवन की लाचारी से,
हाँ मैं लड़ा बहुत हूँ!
हाँ मैं लड़ा बहुत हूँ...
कभी अंतर्मन की लहरों से,
कभी ह्रदय के अंधियारों से,
कभी अंतस में चीखती पुकारो से,
नयनों से बहती जल धारो से,
हाँ मैं लड़ा बहुत हूँ!
हाँ मैं लड़ा बहुत हूँ....
कभी जून की तपती गर्मी से,
<No posts
No posts
No posts
No posts
Comments