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इस तरह वो मुझको पराया करती है
मिलन का वक्त बातों में जाया करती है
समंदर तो जानता है सीमाएं अपनी
बाढ तो नदीयों में आया करती है
जिंदगी खुद को मेरी सास समझने लगी है
रोज चार बातें सुनाया
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