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उनकी बात करें क्या कोई
जिनकी अपनी बात नहीं है।
गली-गली में चर्चा होती,
गांव-गांव में शोर बहुत है,
घर-घर में शंका व्यापी है,
कहते उनका जोर बहुत है,
उनको कौन जोरावर माने,
जिनके साथ जमात नहीं है
उनकी बात करें क्या कोई,
जिनकी अपनी बात नहीं है ।१।
रात-रात भर जागा करते,
इधर-उधर धावा करते है,
दिन में चादर ताने सोये है,
वो दिनका दावा करते है,
उनका दिन कोई क्यों माने
जिनकी अपनी रात नहीं है
उनकी बात करें क्या कोई,
जिनकी अपनी बात नहीं है ।२।
गैरों का मुंह ताका करते,
हरदम बगले झांका करते,
अपने मुंह से अपनी कीमत
अपनों में ही आंका करते,
उनको कौन कीमती मानें,
जिनकी कुछ औकात नहीं
उनकी बात करें क्या कोई
जिनकी अपनी बात नहीं है ।३|
सदा खाट पर लेटे-लेटे.
तारों को कोसा करते हैं,
गैरों की तो बात अलग है,
अपनों से धोखा करते है,
उनकी रात कौन मानेगा
जिनके साथ प्रभात नहीं
उनकी बात करें क्या कोई,
जिनकी अपनी बात नहीं है ।४।
- बांकेलाल श्रीवास्तव "रजनीश"
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