विधवा दुल्हन !'s image
Share0 Bookmarks 44767 Reads2 Likes
एक दुल्हन है जिसकी सेज पर सजे हुए पुष्प हैं,
जिसके अधरों पर लालिमा है उस होने वाले चुम्बन की, 
जिसके नयन व्रीड से शुष्क हैं !

वो परिमल, वो सौंदर्य, वो लाली, वो लहंगा, वो चांद जो चढ़ा हुआ गिगनारों में,
वो जो महकता उसके इत्र में, नयनों के कज्जल में, साज - श्रृंगारों में,

जिसकी प्रतिमा स्थापित है हृदय में मन में,
क्या वो सदा साथ देगा उसका जीवन में ?

क्या प्रियतम के लिए वह नित सिंदूर सजा पाएगी,
क्या वो सदा चूड़ियां पहनेगी, काजल लगाएगी ?

क्या वो सीमा पर खड़ा हुआ भी,
उसे याद रखता होगा ?
क्या उसे भी स्व में कुछ कम, कुछ अपूर्ण लगता होगा ?
क्या उसे मन में न आएगा उस अजन्मी नन्ही जान को बाहों में भरना,
क्या उसे याद न आएगा उसका रोना, लाते मारना, कुलांचे भरना ?

वह इन्ही विचारों में थी मग्न, भूतार्थ स

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts