बचपन का घर's image
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अब दिल्ली में वो बात नहीं
यहां अब दिल लगता नहीं
याद आता है बचपन 
का वो पुराना घर
दादी नानी को वो कहानियां
दुआरे पर लगा वो नीम का पेड़
जिसपे चढ़ते हुए कई बार गिरे थे
झूला झूलते दिन रात ना देखते थे
सुनी है वो रातों कि छत 
जहां गूंजा करती थी कहानियां 
वो बचपन में सबका छत पर
एक साथ बिस्तर लगा के सोना
बहुत याद आता है...
वो गांव का घर कहता है
आके जी ले एक बार फिर अपना बचपन
तोड़ दे ये बंद पड़े यादों के ताले
इससे पहले कि ये घर भी याद हो जाए
एक बार तो अपने घर आजा ...

याद आता है गांव का वो पुराना घर...

©Abhishek Rai
@haqiiqate_ 
@authordivyaprakash 
@hin

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