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रात में अंधेरा ही अच्छा लगता है
और
दिन में उजाले
मेरा कवि हृदय कहता है की
दो पहरें लंबी होती हैं
और
सुबह का सूरज लाल
मिट्टी का रंग कभी नही बदला
जैसे समय को समय से घटाना है मुश्किल
जैसे घट रहा है प्रकृति में सब कुछ एक समान
अनंत कालो से
ठीक वैसे ही
मेरा प्रेम भी घटता रहेगा
अनंत कालो तक ।
—गिरी
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