Share0 Bookmarks 30560 Reads0 Likes
*पथिक से ही तो पथ होगा*
रोज चला था चलने वाला
पथ को चलके खनने
पीछे परछाईं आगे खुद था चलने वाला
चलते चलते थक जाता जब चलके ही सुस्ताने वाला
नाखूनों के बल होकर
रास्ते को सुस्ताने का
मौका देकर चलने वाला
कभी अधूरा मान के चलता
कभी चला भरपूर
पीछे जाए छूट जगह जो
करता मन में पूर्ण
एक भगा सरपट रघुपुर तक
एक भगा शिवपुर
एक थे पथ विप
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments