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*पथिक से ही तो पथ होगा*
रोज चला था चलने वाला
पथ को चलके खनने
पीछे परछाईं आगे खुद था चलने वाला
चलते चलते थक जाता जब चलके ही सुस्ताने वाला
नाखूनों के बल होकर
रास्ते को सुस्ताने का
मौका देकर चलने वाला
कभी अधूरा मान के चलता
कभी चला भरपूर
पीछे जाए छूट जगह जो
करता मन में पूर्ण
एक भगा सरपट रघुपुर तक
एक भगा शिवपुर
एक थे पथ विपरीत दिशा
पर रस्ते दोनो पूर्ण
अलग अलग पथ की
बातें अलग अलग
एक से पथ आकाश नपे
एक नपे पाताल
जैसे जैसे राही मिलते
वैसे रस्ते चलने वाले
_happygiri
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