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"हमारा गाँव"
सुनो अपने मैं तेलिया गाँव का किस्सा सुनाता हूँ
तुम्हें लफ्ज़ों में अपने आज बहराइच दिखाता हूँ
जहाँ पर सड़कें कच्ची हैं, जहाँ हर सम्त ग़ुरबत है
जहाँ पर आज भी लोगों को शिक्षा की ज़रूरत है
जहाँ के लोग पैसों के लिए परदेस जाते हैं
वो खा के रूखी सूखी रोटियाँ पैसे कमाते हैं
मगर फिर भी हमारे गाँव के लोगों में उल्फ़त है
उन्हें इस गाँव
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