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रेत के धोरों पर गुलाबी चुनरी
बर्फ की चादर पर सुर्ख गुलाब
सन्नाटे में कोयल की कूक
ओस पर चमकती किरण
अचानक टप से चेहरे पर गिरी बूंद
छुप जाना, छुपकर झांकना, गुम होकर आवाज लगाना
और अचानक मिल जाना
रेत के धोरों में भी लाल लहरिया कभी लहराया होगा
धूप से जल्दी सड़क पर पेड़ के साए का एहसास
हर जलते कदम को मालूम होगा
बारिशों को तरसती निगाहों में बादल जब लहराया होगा
एक आंसू बदलाव की खुशी भी लाया होगा!
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