माना कि फितरत है तेरी,
बस चलते ही जाने की
रुकता तू चंद लम्हों के लिए,
मैं वक्त रहते घर पहुंच जाता।
पड़ गए पैरों में छाले,
तेरे साथ चलते चलते
थमता जो तू कहीं,
तो मैं भी ठहर जाता ।।
एक तू ही बचा था पास मेरे,
जो मैं दे सकूं सबको
बदला है जबसे तू
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