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#अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस
तो क्या हुआ जो तुम्हें
नहीं मिली सीढियां ।
तुम उचक कर अपने पंजों पर
कर लो पार तुम्हारे चारों तरफ खींची गई दीवारें ।
तो क्या हुआ जो मंज़िल
धुंधला रही है अभी
तुम खाली कर दो आंखों को
आंसुओं से
और भर दो उनमें सुनहरे सपने ।
तुम बंद होते दरवाज़ों,
छीनी गई मुस्कानों
कुचले गए आत्म सम्मानों
का मत रखो हिसाब
तुम ढूंढ लो अपने लिए
खुली हुई खिड़कियां
उन्मुक्त खिलखिलाहटें
और करो वो जो कभी नहीं किया ...
.
.
स्वयं से प्रेम ।।
~गुंजन
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